7. अधिकांश लेखक दूसरे की प्रथा पर लिखने से बचते हैं आपको नहीं लगा की कुछ गलत लिख दिया तो .... - आपने सही कहा है कि कोई भी लेखक दूसरे की प्रथा विशेष कर धार्मिक प्रथाओं पर लिखने से बचता है और बचाना भी चाहिए l मगर यह इस पर निर्भर करता है कि ऐसा विषय चुनते हुए उसकी मंशा और नीयत क्या और कैसी है l ऐसा ही सवाल कई पाठकों ने मेरे दूसरे उपन्यास ‘ बाबल तेरा देस में ’ को पढ़ने के बाद उठाया था l इस उपन्यास में भी ऐसे मुद्दों को उठाया गया था l इस बारे में मेरा कहना यह है कि मुझे बचना या डरना तब चाहिए जब मैं दूसरे मज़हब या धर्म को आहात कर रहा हूँ l आप ‘ हलाला ’ को पढ़ कर थोड़ी देर के लिए सहमत या असहमत तो हो सकते हैं लेकिन मेरी बदनीयती पर सवाल नहीं उठा सकते l हाँ , अगर मुझे सिर्फ़ विवादास्पद होना होता , या मुझे कुछ
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