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युगान्तर

डा. महेंद्रभटनागर,

अब तो
धरती अपनी,
अपना आकाश है!
.
सूर्य उगा
लो
फैला सर्वत्र
प्रकाश है!
.
स्वधीन रहेंगे
सदा-सदा
पूरा विश्वास है!
.
मानव-विकास का चक्र
न पीछे मुड़ता
साक्षी इतिहास है!
.
यह
प्रयोग-सिद्ध
तत्व-ज्ञान
हमारे पास है!
.

Comments

आपको गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
Akanksha Yadav said…
सुन्दर ब्लॉग...सुन्दर रचना...बधाई !!
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60 वें गणतंत्र दिवस के पावन-पर्व पर आपको ढेरों शुभकामनायें !! ''शब्द-शिखर'' पर ''लोक चेतना में स्वाधीनता की लय" के माध्यम से इसे महसूस करें और अपनी राय दें !!!

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