... एक लम्बे समय से मैं कहानियां लिख रहा हूं। यह नहीं जानता कि तमाम तरह के संघर्षों के बावजूद लिखना क्यों जारी है? मैंने कभी जानने की कोशिश नहीं की, लेकिन लगता है कि मेरे पास अपना कहने को लेखन के सिवा कुछ भी नहीं है। मेरा ओढ़ना-बिछौना, मेरे रिश्ते और मेरे पेट की भूख मेरा लेखन ही है और क्या दूं किसी को? मेरे पास है ही क्या? बस, एक अहसास दे सकता हूं कि मैं उनके साथ हूं।... हमारा जीना मरना और हमारी तकलीफें एक है। नफ़ीस आफ़रीदी की कलम से...