tag:blogger.com,1999:blog-5512387138464220026.post215589728577429378..comments2024-03-12T09:39:08.569+05:30Comments on वाङ्मय हिन्दी पत्रिका ( vangmay-patrika aligarh): धर्म का हव्वा और यूनिवर्सिटिया - राही मासूम रजाvangmyapatrikahttp://www.blogger.com/profile/05065900084189339880noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5512387138464220026.post-13549250014912762992008-10-13T00:13:00.000+05:302008-10-13T00:13:00.000+05:30इस बात को छद्म-धर्म-निरपेक्षियों को समझने की जरूरत...इस बात को छद्म-धर्म-निरपेक्षियों को समझने की जरूरत है. इसके बाद शायद मुसलमान भी इस बात को समझें तो देश का भला होगा.Satyajeetprakashhttps://www.blogger.com/profile/11272982282044450151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5512387138464220026.post-25339168792567596182008-10-12T22:22:00.000+05:302008-10-12T22:22:00.000+05:30डो. फीरोज इस प्रस्तुति का आभार। दुर्लभ आलेख है। रज़...डो. फीरोज इस प्रस्तुति का आभार। दुर्लभ आलेख है। रज़ा वास्तव में उस धर्मनिर्पेक्षता के प्रहरी थे जिसके मायने राष्ट्र भूल चुका है।राजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.com